इस समूह को बनाने का एक मात्र मकसद आजादी पाने के लिए हमारे देश के हजारों लोगों ने जो कुर्वानी दी है उस कुर्वानी को हमेशा याद रखना और उन्होंने जिस आजाद भारत की कल्पना की थी उस सोच को साकार करने के लिए अपनी और से हर सम्भव कोशिश करना, सिर्फ इंटरनेट पर ही नही वास्तविक धरातल पर ऐसे लोगों को एक मंच पर लाकर खड़ा करना जिन के अंदर देश के लिए कुछ करने की इच्छा, लालशा इस हद तक को हो की अपने जीवन और देश में से एक को चुनने का मौका आने पर वो देश हित के लिए जान दे भी सके और जान ले भी सकें.
बुधवार, 21 जुलाई 2010
***कंक्रीट का विशाल जंगल, बन गया ये शहर सारा***
वन्दे मातरम दोस्तों,
गाँव जहाँ मिटटी की सोंधी खुशबू, तन मन को महका देती थी,
गाँव जहाँ होली के रंगो मैं, तन मन रंग जाता था,
गाँव जहाँ ईद और दिवाली, हम सब साथ मनाते थे,
गाँव जहाँ इक छोटा बच्चा, बडो बडो को जानता था,
गाँव जहाँ की फाग मुझे, याद अभी तक आती है,
गाँव जहाँ एक की ख़ुशी, सारे गाँव को नचाती थी,
गाँव जहाँ एक की शादी मैं, पूरा गाँव बराती था,
गाँव जहाँ एक का दुःख पूरे गाँव का दुःख होता था,
गाँव जहाँ के दूध दही की, बात निराली थी,
गाँव जहाँ की सारी गलियाँ, देखि भली थी,
गाँव जहाँ प़िरक्रति के, अनमोल नजारे चारों और,
कुये का शीतल जल, ठंडी हवा, मन्दिर का घंटा होती भोर,
आज हम सुख की खातिर, एक अंधी दौड़ को दौड़ रहे हैं,
ईद दीवाली की ख़ुशी, होली के रंग छोड़ रहे हैं,
त्यौहार हमारे कब आये, कब चले गये मालूम नही,
किसकी ख़ुशी और किसका गम, अपने से हमे फुर्सत है कहाँ,
कहाँ बीबी जाती कहाँ पे शौहर, इनको है मालूम कहाँ,
कौन हमारा हम किसके पडौसी, ये बात लगे बेमानी सी,
दुसरे की ख़ुशी या दुसरे का गम बात बड़ी अनजानी सी,
ढूध जहर सब्जी मैं जहर, पानी मैं भी जहर मिला,
सांसे भी जहरीली हो गई, जहरीला जंगल हमको मिला,
हर इन्सान यहाँ हुआ स्वार्थी, स्वार्थ खातिर जिन्दा है,
पति से पत्नी, पत्नी से पति, कर बेवफाई तनिक नही शर्मिंदा हैं
कंक्रीट का विशाल जंगल, बन गया ये शहर सारा,
पत्थर और दीवारों से, बना हुआ है घर हमारा,
प्रेम, प्यार और भाई चारा, इन दीवारों मैं दफन हुआ,
कंक्रीट का विशाल जंगल, अब तो सारा वतन हुआ,***
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ढूध जहर सब्जी मैं जहर, पानी मैं भी जहर मिला,
जवाब देंहटाएंसांसे भी जहरीली हो गई, जहरीला जंगल हमको मिला,