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सोमवार, 27 सितंबर 2010

क्या ये सम्भव नही की हम राम जन्म भूमि पर प्रभु श्री राम को केन्द्रित कर एक सर्व धर्म पूजा स्थल का निर्माण कर सके




वन्दे मातरम दोस्तों,
अयोध्या मैं राम मन्दिर का मामला करोड़ों भारत वासियों की भावना से जुडा है, राम हमारी आस्था व श्रद्धा के प्रतीक हैं, पिछले साठ साल से ये मामला कोर्ट मैं विचाराधीन भी है, कई बार सरकारे बदल गई, न्यायाधीश भी बदल गये, देश ने इस प्रकरण के चलते भयंकर खून खराबा भी देखा है,
ना तो कभी कोर्ट ही इस पर कोई ठोस फैसला ले सका है, ना ही किसी भी सरकार ने इस पर कभी वास्तविक पहल की है, भाजपा व कांग्रेस सहित सभी दलों के ही लिए ये मामला केवल वोट बेंक का मामला बन कर रह गया है, आज फिर इस पर अदालत ने अपना फैसला सुनाना है मगर लगता नही है की आज भी कोई फैसला आएगा..........
हिन्दू धर्म के केंद्र मै त्याग और दया की भावना रही है........ तो क्या हम राम जन्म भूमि पर भगवान राम के अतिरिक्त और कुछ नही सोच सकते हैं? ............ क्या ये सम्भव नही की हम राम जन्म भूमि पर प्रभु श्री राम को केन्द्रित कर एक सर्व धर्म पूजा स्थल का निर्माण कर सके जहां सभी धर्मों के अनुयाई पूजा कर सके? क्या ऐसा होने पर प्रभु श्री राम की महिमा मै कोई कमी आ जायेगी? ....... मेरा तो मानना है की ऐसा होने पर राम जन्म भूमि को एक अंतर्राष्ट्रीय पूजा स्थल होने का गौरव प्राप्त होगा......
मगर मैं जानता हूँ की ऐसा होने नही दिया जायेगा....... ऐसा नही है की इस पर देश के लोगों को कोई आपति होगी..... बल्कि सत्ता और धर्म के ठेकेदार ऐसा होने नही देंगे क्योंकि ऐसा होने पर उनकी दुकानदारी बंद हो जाएगी उसका क्या होगा

रविवार, 26 सितंबर 2010

पेट पालने की खातिर, कोई पेट मैं पलते देखा है,


चिराग जलाने की कोशिश,
घर हमने जलते देखा है,
पेट पालने की खातिर,
कोई पेट मैं पलते देखा है,

भूखी माँए रोते बच्चे,
तन नंगा और मन नंगा,
एक दिन के चावल को ही,
हो जाता है बदन नंगा,
इस युग मैं हर मोड़ पे हमने,
सीता को हरते देखा है,

खुश दिख कर यहाँ करने पड़ते,
बदन के सौदे रातों मैं,
बदन के लालची भेडिये,
रहते सदा ही घातों मैं,
यहाँ द्रोपदी को चीर हरण,
खुद अपना करते देखा है,

सोने वाले सो नही पते,
रात यहाँ सो जाती है,
जग की जन्म देनी माँ,
खुद गर्त मैं खो जाती है,
पेट की खातिर खुद ही हमने,
खुद को छलते देखा है,

चिराग जलाने की कोशिश,
घर हमने जलते देखा है,
पेट पालने की खातिर,
कोई पेट मैं पलते देखा है,


पेंटिंग - गुस्ताव किल्म्ट

सोमवार, 13 सितंबर 2010

पूर्व डी एस प़ी सुरेश मूलकर वार करा सकते हैं मुझे नक्सलाईट बता कर मेरा एन काउन्टर

वन्दे मातरम दोस्तों,
मैं कुछ समय से छत्तिस गड़ मैं आया हुआ हूँ, यहाँ के दो जिलों दुर्ग और अम्बिका पुर के अंदर कपड़ा समिति के नाम पर लाखों रूपये की लूट चल रही है ये लोग ग्रामीण इलाकों मैं जाकर जिले के लग भग सभी गाँवों से तीन हजार रूपये से लेकर छह हजार रूपये तक इकट्ठा कर रहे हैं, ये लोग पूर्व मैं भी लग भग सारे छत्तिसगड़ के सभी जिलों मैं इसी प्रकार से लूट करके भाग चुके हैं. मैं पहले भी इन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करवा चुका हूँ.
इस समय समय की कमी के चलते विस्तार से लिखना सम्भव नही है पर आप सभी को इतना बताना जरूरी है की इस सारे कार्य मैं एक पूर्व डी एस प़ी सहाब सुरेश मूलकरवार जी ( भाऊ ) एक एक लाख रूपये इन ठगों से इस कार्यों को करने देने व् पुलिस से बचाने के लिए ले रहे हैं
इस समय आप को मैं बता देना जरूरी समझता हूँ की ये डी एस प़ी सहाब मुझे किसी भी संगीन मामले मैं केवल फसाने की ही ताक़ मैं ही नही है बल्कि ये मुझे नक्सलाइट बता कर मेरा एन काउन्टर भी करवा सकता है क्योंकि मेरे कारण पहले भी इनकी नौकरी 2005 मैं खतरे मैं भी पड़ चुकी है, अगर मुझे मार दिया जाता है तो मेरा सम्पर्क आप सभी से टूट जाएगा यदि ऐसा होता है तो इसके लिए पूर्ण रूप से सुरेश मूल्करवार जी ही जिम्मेदार होंगे
हालांकि दोस्तों मेरे पास समय है की मैं यहाँ से भाग सकू मगर मुझे आसपास की जगहों से इन्हें बेनकाब करने के लिए इनके खिलाफ सबूत जुटाने हैं इसलिए मैं यहाँ से भागूंगा नही. आशा है आप सभी किसी अनहोनी की हालत मै इन लोगों को बेनकाब करने मैं मेरी मदद अवश्य करेंगे

बुधवार, 1 सितंबर 2010

अनेकता मैं एकता से ही, मेरा देश महान है,......



वन्दे मातरम दोस्तों,

ये हमारी ही जमी है, ये हमारा ही चमन है,
स्वर्ग से भी सुंदर, प्यारा ये वतन है,.......

यहाँ लहलहाते खेत, पेड़ों पर झूले सावन के,
कितने प्यारे नौनिहाल हैं, अपने आंगन के,........

यहीं पे केवल ईद मनाते, हिन्दू देखे जाते हैं,
यहीं मुसलमाँ रंग लगाते, दीप जलते हैं,........

यहीं हिमालय ऊँचा करके, खड़ा है अपने भाल को,
भारत माँ के चरण पखारते देखा, महासागर विशाल को,.........

यहीं कदम कदम पर बोलियाँ, मैं फर्क दिखाई पड़ता है,
यहीं रहीम दुश्मन से देखो, राम की खातिर लड़ता है,.......
यहाँ अमरनाथ की गुफा के देखो, मुसलमाँ रखवाले हैं,
हिन्दू मुस्लिम मिल जुल कर, यहाँ सिरडी जाने वाले हैं,..........

यहाँ लोहड़ी की रेवड़ी, सब मिल जुल कर खाते हैं,
यहाँ क़िर्समस के त्यौहार को, मिल कर सभी मनाते हैं,.......

फर्क यहाँ पहनावे मैं, कदम कदम पर आता नजर,
फर्क यहाँ पर दिलों मैं, कभी नजर ना आता मगर,............

शहीदों की ये सरजमी, प्यारा ये हिंदुस्तान है,
अनेकता मैं एकता से ही, मेरा देश महान है,...........