संघर्ष

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मंगलवार, 29 जून 2010

***ना जाने क्या ढूंढते हम अहिंसा में गाँधी में***


वन्दे मातरम दोस्तों,
फिर सत्ताईश मारे गये आतंक की आंधी में,
ना जाने क्या ढूंढते हम अहिंसा में गाँधी में.
बहुत समय नही गुजरा है दंतेवाड़ा के नक्सली नर संहार को, मगर हमारी सरकार ने इससे कोई सबक नही लिया, इन नक्सलियों की समस्या से निपटने के लिए कोई कारगर उपाय नही किये गये, हमारा ख़ुफ़िया तन्त्र एक बार फिर विफल रहा और इसका अंजाम एक बार फिर सत्ताईश जवानो की मौत के रूप में सामने आया,
सरकार क्यों आखिर इन नक्सलियों के आगे घुटने टेकने को मजबूर है? क्यों नही हम इन्हें नेस्तानाबूद नही कर पा रहे हैं? क्यों हमारा खुफिया तन्त्र इनके आगे फेल हो रहा है?
इन नक्सलियों की मदद उस जगह रहने वाले लोग आखिर क्यों करते है? क्या उन्हें सरकार में भरोसा नही है? क्या ग्राम वासी नक्सलियों को सरकार से अधिक ताकतवर समझते है? क्या नक्सलियों का डॉ ग्राम वासियों के दिमाग में इस प्रकार बैठ गया है की वो चाह कर भी इन नक्सलियों की खिलाफत नही कर सकते है? या फिर सरकार ही वोट बेंक की राजनीती के चलते इन्हें खत्म करना ही नही चाहती है?
सरकारों को इस बारे में सोचना ही होगा की हमारे वीर जवान आखिर कब तक इस प्रकार सरकारी मंसा के चलते शहीद होते रहेंगे? आखिर कब जागेगी सरकार?
(यहाँ अहिंसा और गाँधी से मेरा तात्पर्य महात्मा गाँधी की उन नीतियों से है जो पूर्णतया अहिंसा में विश्वास रखती हैं, हम अहिंसा अहिंसा चिल्लाते रहते हैं और वो वार पर करते रहते हैं, किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का मेरा कोई इरादा नही है, अगर किसी को भी मेरे इन वाक्यों से ठेस लगती है तो मैं माफ़ी चाहता हूँ.)

सोमवार, 28 जून 2010



वन्दे मातरम दोस्तों,
***मेरा भारत महान,
जनता भूखी परेशान,
नेता भ्रष्ट बे इमान,
फिर भी मेरा भारत महान****
युवा फिरता बेरोजगार,
चौ तरफा महगाई मार,
आतंकी करते वार पे वार,
माफ़ उन्हें हम करते यार,
जीवन बना शमसान,
फिर भी मेरा भारत है महान,****
चौ तरफा रिशवत का जोर,
हम नैतिकता का करते शोर,
देश हमारा चला किस ओर,
कोई ना इसपे करता गौर,
भ्रष्ट का हम करते गुणगान,
फिर मेरा भारत है महान*****
जय हिंद

शुक्रवार, 25 जून 2010

***जय कुर्सी देवा***



वन्दे मातरम दोस्तों,
अभी कुछ घंटे पहले ही सरकार की और से गरीबों को समाप्त करने की दिशा में एक और मजबूत कदम उठाया गया है. अब रसोई में गैस सिलेंडर ३५ रूपये और महंगा आएगा, डीजल केवल दो रूपये लीटर महंगा होगा और केरोसीन तेल बस तीन रूपये लीटर ही महंगा हुआ है. सरकार का कहना है की जितना तेल कम्पनियों को घाटा है उस हिसाब से तो ये बडोतरी कुछ भी नहीं है,
गरीबी समाप्त करने की दिशा में ये एक बड़िया सरकारी पहल है, गरीब को खाने के लाले तो पहले ही से थे कुपोषण के शिकार गरीब बच्चो की तादाद पहले ही देश में गिने जाने लायक नही है आंकड़ों में ये तादाद अगर बड़ भी जाये तो क्या? भुखमरी का शिकार होकर कुछ और लोग अगर मर भी जाएँ तो क्या? कम से कम सरकारी आंकड़ों में गरीबों की तादाद तो कम दिखाई देगी और सरकार के ***गरीब हटाओ*** नारे को और अधिक मजबूती मिलेगी.
सरकार में शामिल कुछ सियासी दल इस पर विरोध भी दर्ज करायेंगे, सरकार भी अपनी मजबूरी का वास्ता देगी और कुर्सी का लालच इन सभी को बाँधे रखेगा, विपच्छ भी अगले चुनाव को ध्यान में रख कर कुछ ना कुछ शोर शराबा जरूर करेंगे क्योंकि ये दिखाबा करना भी कुर्सी तक पहुचने का एक जरिया एक मात्र तरीका है और सत्ता की होड़ में बने रहने के लिए इन सब की मजबूरी भी है. कोई भी नेता या पार्टी कोई सार्थक पहल नही करेगा.
जनता जाये भाड़ में, सत्ता हमको प्यारी है,
कल मरती हो आज मरे, कौन रिश्तेदार हमारी है,
***जय कुर्सी देवा***

मंगलवार, 22 जून 2010


दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि अधिकांश सरकारी विभागों में भ्रष्ट अधिकारी हैं जो गरीब लोगों के लिए निर्धारित धन हड़प रहे हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे लोगों की जगह जेल होनी चाहिए। न्यायमूर्ति शिव नारायण ढींगरा ने कहा, डीडीए, पुलिस या फिर एमसीडी हो, यहां काम करने वाला 90 प्रतिशत स्टाफ भ्रष्ट है। भारत जिस क्षेत्र में अग्रणी है वह भ्रष्टाचार है। अदालत ने यह टिप्पणी एक राष्ट्रीयकृत बैंक के वरिष्ठ अधिकारी गोपाल कृष्ण की जमानत याचिका ठुकराते हुए की। कृष्ण इस समय भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं। एक बालिका की शिकायत पर सीबीआई ने बैंक अधिकारी को गिरफ्तार किया था। बालिका ने प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत दो लाख रुपये के ऋण के लिए आवेदन किया था जिसके एवज में उससे 20000 रुपये मांगे गए। जमानत याचिका ठुकराते हुए न्यायमूर्ति ने कहा, गरीबों की मदद के लिए कई सरकारी योजननाओं का लाभ उचित व्यक्ति को नहीं मिल पाता क्योंकि योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों में भ्रष्टाचार व्याप्त है। इस मामले का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि इसमें बैंक का उप प्रबंधक लिप्त है। अदालत ने कहा, सरकार द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार योजना ऐसे वर्ग के लिए चलाई जा रही है जो निचले तबके के लोग हैं और धन के अभाव में कोई काम नहीं शुरू कर पाते हैं। कोर्ट ने इस पर बल दिया कि इसकी जांच होनी चाहिए कि ये योजनाएं जमीनी स्तर पर सही ढंग से लोगों को लाभ पहुंचा पा रही हैं या नहीं?

बुधवार, 9 जून 2010

***बेहद कमजोर है हमारी कानून व्यवस्था और बेहद मजबूर हैं हमारे न्यायाधीश***


****भोपाल गैस कांड पर आखिर फैसला आ ही गया, सातों आरोपियों को अदालत ने आखिर सजा सुना ही दी, वाह रे भारतीय कानून 25000 लोग काल के गाल समा गए, लाखो गूंगे, अंधे, बहरे और अपाहिज हो गए, वाह रे भारतीय कानून का खोखला पन आरोपियों को दो वर्ष की सजा ओर मुख्य आरोपी एडरसन को तो आज तक हम पकड़ ही नहीं सके, दो वर्ष की सजा वह भी होग...ी या नहीं कुछ पता नहीं, अभी ये अपराधी अपील करेंगे अपर कोर्ट में जायेंगे ओर सुप्रीम कोर्ट तक जाते जाते हजारो पीड़ित न्याय की आस लिए काल के गाल में समां जायेंगे, कुछ अपराधी भी शायद तब तक इस दुनिया में न रहे, मगर हमारे कानून की देवी की आख पर पट्टी बंधी है अंधी है, हमारे कानून की देवी वह यह जानते हुए भी की सामने एक जघन्य अपराधी खड़ा है, सजा नहीं दे सकती क्यों की वह केवल वह देखती है जो उसे दिखाया जाता है, और शातिर लोग इसका अपनी इच्छा अनुसार फाएदा उठाते रहते है, मजबूर लाचार गरीब व्यक्ति केवल तारीख ओर तारीखों के चक्कर में केवल अदालत के चक्कर में उलझ कर अपनी इह लीला समाप्त कर बैठता है, मगर उसे न्याय नहीं मिलता वाह रे हमारी न्याय पालिका***