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बुधवार, 9 जून 2010

***बेहद कमजोर है हमारी कानून व्यवस्था और बेहद मजबूर हैं हमारे न्यायाधीश***


****भोपाल गैस कांड पर आखिर फैसला आ ही गया, सातों आरोपियों को अदालत ने आखिर सजा सुना ही दी, वाह रे भारतीय कानून 25000 लोग काल के गाल समा गए, लाखो गूंगे, अंधे, बहरे और अपाहिज हो गए, वाह रे भारतीय कानून का खोखला पन आरोपियों को दो वर्ष की सजा ओर मुख्य आरोपी एडरसन को तो आज तक हम पकड़ ही नहीं सके, दो वर्ष की सजा वह भी होग...ी या नहीं कुछ पता नहीं, अभी ये अपराधी अपील करेंगे अपर कोर्ट में जायेंगे ओर सुप्रीम कोर्ट तक जाते जाते हजारो पीड़ित न्याय की आस लिए काल के गाल में समां जायेंगे, कुछ अपराधी भी शायद तब तक इस दुनिया में न रहे, मगर हमारे कानून की देवी की आख पर पट्टी बंधी है अंधी है, हमारे कानून की देवी वह यह जानते हुए भी की सामने एक जघन्य अपराधी खड़ा है, सजा नहीं दे सकती क्यों की वह केवल वह देखती है जो उसे दिखाया जाता है, और शातिर लोग इसका अपनी इच्छा अनुसार फाएदा उठाते रहते है, मजबूर लाचार गरीब व्यक्ति केवल तारीख ओर तारीखों के चक्कर में केवल अदालत के चक्कर में उलझ कर अपनी इह लीला समाप्त कर बैठता है, मगर उसे न्याय नहीं मिलता वाह रे हमारी न्याय पालिका***

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