संघर्ष

LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

मंगलवार, 31 अगस्त 2010


वन्दे मातरम दोस्तों,
गाल गर बजाने से, बात अगर बन जाती,
मेहनत कर दुनिया मैं, रोटी कमाता कौन,
बातों से खेतों मैं, फसल गर होती पैदा,
जेठ की दोपहरी मैं, हल फिर चलाता कौन,
बातें ही बनाने से, महल अगर बन जाते,
मिटटी मैं मिटटी हो, गारा बनाता कौन,
बातें ही बनाने से, बदन अगर ढक जाता,
कपड़ा बनाने को, चरखा चलाता कौन,
बातें ही बनाने से, नहरें अगर खुद जाती,
जलते रेगिस्तान मैं भी, हरियाली लाता कौन,
गाल ही बजाने से, युद्ध अगर जीते जाते,
सरहद पर जाकर के, लहू फिर बहाता कौन,
गाल ही बजाते रहते, गर हमारे अमर शहीद,
सोचो भारत माँ को, आजाद कराता कौन??

2 टिप्‍पणियां:

  1. गाल को बजाना तो, नेताओं का काम है,
    गाल को बजाने से उन्हें, ना इक पल आराम है,
    मेहनत से इनका ना, दूर तक वास्ता,
    बेबकूफ बनाने को ढूँढ़ते, पल पल नया रास्ता ........

    जवाब देंहटाएं
  2. क्या बात कही है इन पंक्तियों के द्वारा
    अच्छी पंक्तिया है ......
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं